बिजनेस कितने प्रकार के होते है | Types of business in hindi

दोस्तों अक्सर कहा जाता है कि जो लोग सिर्फ अपनी ख्वाहिशों को पूरा करना चाहते हैं वो नौकरी करते हैं,और जिन्हें दूसरों के भी सपने पूरे करने होते हैं वो व्यापार करते हैं। क्योंकि नौकरी करके सिर्फ EMI और बिल ही भरा जा सकता है BMW और AUDI के लिये मालिक ही बनना पड़ेगा।

अगर आपका सोच भी कुछ इसी तरह का है और आप खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि Business Kitne Prakar Ke Hote Hain क्योंकि बिज़नस के प्रकारों के बारे में सही और पूरी जानकारी न होना, आगे चलकर पछतावे या बड़े जोखिम का कारण बन सकता है. 

इसलिए आज के इस पोस्ट में हम आपको बहुत ही सरल शब्दों में उदाहरण के साथ Types Of Business In Hindi में बताएंगे जिसे 10 साल का बच्चा भी समझ सकता है किे बिजनेस कितने प्रकार के होते है. इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप आसानी से अपने लिए सही बिजनेस का चुनाव कर पाएंगे.कि आपको किस तरह का और कौन सा बिजनेस शुरू करना चाहिए.

बिजनेस किसे कहते हैं

विकिपीडिया के मुताबिक – बिजनेस एक ऐसा काम है जिसमे सामान का उत्पादन या उसका क्रय-विक्रय करके पैसे कमाए जाते हैं. इसके साथ ही यह प्रॉफिट कमाने के लिए कोई भी गतिविधि या एंटरप्राइज भी हो सकता है. 

बिजनेस के फायदे बताइए 

बिजनेस के फायदे इस तरह से हैं-

1. आप खुद का बॉस बन सकते हैं , आपको कोई भी अपनी उंगली पर नहीं नचाएगा. 
2. मन किया तो काम किया , मन किया तो आराम किया. आपके ऊपर कोई दबाव नहीं होगा. 
3. आप दूसरे लोगो को अपने यहां काम दें सकते हैं.
4. बिजनेस में सफल होने के बाद पैसे और समय की पूरी आजादी होती है. आपको बार-बार पैसों के लिए नहीं सोचना पड़ेगा. अपने जगह पर किसी विश्वसनीय व्यक्ति को काम पर रखकर जब चाहे ,जहां चाहे घूमने जा सकते हैं. 

बिजनेस कितने प्रकार के होते है | Types of business in hindi

दोस्तों बिजनेस के प्रकार को मुख्य रूप से दो आधार पर बाटा जा सकता है – माल के सप्लाई चैन के आधार पर और बिजनेस के लीगल डॉक्यूमेंट्स रजिस्ट्रेशन के आधार पर  

1) माल के सप्लाई चैन के आधार पर बिजनेस के प्रकार 

माल के सप्लाई चैन के आधार पर बिजनेस के प्रकारों को आप इस तरह से समझ सकते हैं की अपने हांथ में अभी आपने जो मोबाइल फोन रखा है वो एक लंबे प्रोसेस से होकर आप तक पहुंचा है. लेकिन कैसे ? 

सबसे पहले तो इस फोन को किसी कंपनी ने बनाया होगा . यानी कंपनी ने मैन्युफैक्चरिंग का काम किया. इसलिए उनके लिए यह मैन्युफैक्चरिंग का बिजनेस है. 

अब इस फोन को किसी डिस्ट्रीब्यूटर ने कंपनी से खरीदा होगा और उसे अन्य व्होलसेलर को बेचा होगा. इस तरह मैन्युफैक्चरिंग के बाद डिस्ट्रीब्यूशन और व्होलेसिंग का बिजनेस आता है. 

अब व्होलसेलर इस मोबाइल को अलग-अलग एरिया के लोकल मार्केट में सेल करते हैं जिन्हे मोबाइल शॉप चलाने वाले भैया खरीदते हैं. दोस्तों लोकल मार्केट में शॉप खोलकर कस्टमर को सामान बेचने वाले इन लोगो को रीटेलर कहते हैं. और इनके बिजनेस को रिटेल बिजनेस कहते हैं.

आप और हम लोग मार्केट में जाकर इन्ही रिटेलर से मोबाइल खरीदते हैं और इस तरह लंबे चरण से गुजरते हुए अंत में आम लोगो तक सभी प्रोडक्ट पहुंचते हैं.

दोस्तों मानकर चलते हैं कि कुछ महीनो बाद आपके मोबाइल में कुछ दिक्कत आ जाती है तो ऐसे में अब आप मोबाइल को किसी नजदीकी सर्विस सेंटर में रिपेयर कराने के लिए ले जायेगे. दोस्तों यहां पर सर्विस सेंटर हमसे मोबाइल ठीक करने के बदले में कुछ पैसे जरूर लेता है लेकिन मोबाइल को ठीक करके दे दिया जाता है. 

यहां पर एक बात ध्यान दें- मोबाइल को ठीक करके देना उनकी तरफ से हमें सर्विस यानी सेवा दी जा रही है . और हम इस सेवा के बदले में उन्हें पैसे देते हैं. इसलिए इसे सर्विस बिजनेस कहते हैं. क्योंकि यहां कस्टमर को कोई प्रोडक्ट या सामान न देकर सेवा बेची जा रही है.  इसी तरह बस , ट्रेन आदि सर्विस बिजनेस में आते हैं क्योंकि हमे यहां पैसे के बदलने में सफर करने की सुविधा दी जाती है,.

दोस्तों उम्मीद करते हैं कि यहां तक आप बिजनेस के बेसिक प्रकारों को समझ चुके होंगे. ऊपर हमने बिजनेस के जितने प्रकारों को जाना है उनके नाम कुछ तरह से हैं-

  1. मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस
  2. डिस्ट्रीब्यूशन/ व्होलसेल बिज़नेस
  3. रिटेल बिज़नेस
  4. सर्विस बिज़नेस

दोस्तों माल सप्लाई चैन में इसके अलावा बिजनेस के दो प्रकार और होते हैं , जिसमे माल कंपनी से डायरेक्ट कस्टमर को दिया जाता है-

  1. फ्रेंचाइज बिजनेस 
  2. नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस 

फ्रेंचाइज बिजनेस – दोस्तों यह बिजनेस का एक ऐसा तरीका हैं जिसमे कंपनी अपने बिजनेस को फैलाने के लिए वहां के स्थानीय लोगो द्वारा अलग-अलग एरिया में अपने नाम से शॉप खुलवाती है. फ्रेंचाइज बिजनेस मॉडल की खासियत है कि कंपनी जहां भी अपनी शॉप खुलवाती है तो वह एक ही तरह के स्ट्रक्चर और डेकोरेशन में बने होते हैं. जिससे लोगो को समझने में आसानी हो कि यह उसी ब्रांड का ऑफिशियल शॉप है. अगर आपने KFC , MCdonald या Haldiram , Chai Sutta Bar के शॉप को देखा है तो आप इस बिजनेस मॉडल को अच्छे से समझ सकते हैं. 

नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस 

दोस्तों नेटवर्क मार्केटिंग को कम लागत वाला बिजनेस है कहते हैं जिसमे कंपनी से माल लेकर सीधे कस्टमर को बेचना होता है. यह बिजनेस बाक़ी बिजनेस से बिलकुल अलग होता है . इस बिजनेस से पैसे कमाने के लिए हर कंपनी अलग अलग बिजनेस मॉडल का इस्तेमाल करती है. 

आपको इंटरनेट में ऐसी कई कंपनी के बारे में जानने को मिल जायेगा तो नेटवर्क मार्केटिंग का बिजनेस करती है. आपको इन कंपनी के साथ जुड़ना होगा. जुड़ने का तरीका बहुत आसान होता है. बस कंपनी का माल खरीदते ही आप उनके मेंबर बन जायेगे. 

2) बिजनेस के लीगल डॉक्यूमेंट्स रजिस्ट्रेशन के आधार पर  बिजनेस के प्रकार 

दोस्तों किसी भी बड़े बिजनेस की शुरुआत करने से पहले Companies Act 2013 के तहत कंपनी रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होता है . क्योंकि इससे एक तो कंपनी को कानूनी तौर पर बिजनेस के लीगल होने की पहचान मिलती है और दूसरा कंपनी रजिस्टर होने पर कस्टमर को कंपनी के प्रोडक्ट या सर्विस के ऊपर भरोसा होने लगता है. 

हमारे देश में बिजनेस के साइज और उसके प्रकार के हिसाब से कई तरह का कंपनी रजिस्ट्रेशन होता है. हर कंपनी रजिस्ट्रेशन के प्रकार के अपने फायदे और सीमाएं होती है. 

बिजनेस का रजिस्ट्रेशन होने पर बैंक , इन्वेस्टर या अन्य स्त्रोतो से फंडिंग मिलना आसान होता है. इसके अलावा कुछ बिजनेस रजिस्ट्रेशन ऐसे होते हैं जिसके अंतर्गत टैक्स छूट जैसे कई फायदे दिए जाते हैं.  

बिजनेस के लीगल डॉक्यूमेंट्स रजिस्ट्रेशन के आधार पर बिजनेस के प्रकार इस तरह से हैं

  1. Sole Proprietorship
  2. Partnership
  3. Limited Liability Partnership
  4. Private Limited Companies
  5. Public Limited Companies
  6. One-Person Companies

1) Sole Proprietorship

दोस्तों Sole Proprietorship एक ऐसा एंटरप्राइज होता जिसे पूरी तरह से किसी के व्यक्ति के द्वारा मैनेज और कंट्रोल किया जाता है. बहुत सारे लोग स्मॉल बिजनेस की शुरुआत अपने नाम से करते हैं और Sole Proprietorship के तौर पर इसे आगे भी जारी रखते हैं. 

यह बिजनेस रजिस्ट्रेशन कराने के बाद बिजनेस से जो भी कमाई होती है वह एक ही व्यक्ति के हांथ में होता है. इस कमाई में व्यक्ति को अलग से इनकम टैक्स्ट देने की जरूरत नहीं होती है बल्कि वह अपने टोटल पर्सनल इनकम का खुलासा करता है और उसमे से टैक्स भरता है. दोस्तों दुकान या रिटेल बिजनेस करने वाले व्यक्ति इस तरह का बिजनेस रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. 

FACT:  फ्लिपकार्ट और स्नैपडील ने अपने बिजनेस को sole proprietorship company के तौर पर शुरू किया था. 

2) Partnership: 

दोस्तों जैसा कि पार्टनरशिप नाम से ही स्पष्ट हैं – इसमें दो या दो से अधिक लोग मिलकर बिजनेस करते हैं और जो भी प्रॉफिट मिलता है उसे आसपास में बराबर-बराबर बांट लेते हैं. 

इस तरह के बिजनेस में पार्टनर्स सभी लायबिलिटी ( देनदारियां जैसे कि लोन ) के लिए जिम्मेदार होते हैं. पार्टनरशिप बिजनेस का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं होता है लेकिन करा लेना उचित रहता है. 

अगर बिजनेस पहले से रजिस्टर होता है तो पैसों की जरूरत पड़ने पर बैंक या अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट से फंडिंग मिलने में आसानी होती है . 

Facts: हिंदुस्तान पेट्रोलियम, महिंदा एंड महिंद्रा , मारुति सुजुकी 1932 के Indian Partnership Act के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं. 

3) Limited Liability Partnership (LLP)  

Limited Liability Partnership Act 2009 के तहत लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप को लागू किया गया था.  पार्टनरशिप फर्म के विपरीत, LLP में पार्टनर्स के ऊपर बिजनेस के कारण होने वाली असीमित देनदारियों यानी लायबिलिटी का बोझ नहीं होता है।

बिजनेस में होने वाले कर्ज या घाटे के को लेकर उनकी उतनी ही जिम्मेदारी होती है जितना कि उन्होंने बिजनेस में अपना इन्वेस्टमेंट किया होता है. 

  • LLP को बिना कम इन्वेस्टमेंट किए शुरू किया जा सकता है. 
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तुलना में LLP को आसानी से और कम डॉक्यूमेंट्स के साथ शुरू किया जा सकता है.
  • इस बिजनेस में लोगो के संख्या असीमित हो सकती है क्योंकि कोई लिमिट नहीं है. 
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तुलना में इस बिजनेस को रजिस्टर कराने में कम खर्चा आता है. 
  • Law फर्म या अकाउंटिंग फर्म लिमिटेड लायबिलिटी कंपनी के उदाहरण हैं.  

Fact: हमारे देश में 1 लाख भी ज्यादा LLP रजिस्टर्ड कंपनी है.  

4) Private Limited Company:

दोस्तों companies Act 2013 के सेक्शन 2(68) के अनुसार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को इस तरह से परिभाषित किया गया है – प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का मतलब एक ऐसे कंपनी से है जिसके पास न्यूनतम भुगतान शेयर हैं 

और जो इसके अनुच्छेद के अनुसार निम्न कार्य करता है ,

 (i) अपने शेयरों को हस्तांतरित करने के अधिकार को प्रतिबंधित करता है;

 (ii) एक व्यक्ति कंपनी के मामले को छोड़कर, इसके सदस्यों की संख्या दो सौ तक सीमित है:

 (iii) कंपनी की किसी भी प्रतिभूतियों की सदस्यता के लिए जनता को किसी भी निमंत्रण पर रोक लगाता है।’

दोस्तों प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने के कई फायदे होते हैं. इसके कुछ प्रमुख फायदें के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं. 

  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कोई भी व्यक्ति काम कर सकता है चाहे वह शेयरहोल्डर हो , एम्प्लॉयी हो या फिर डायरेक्टर. 
  • अगर कंपनी से जुड़े किसी व्यक्ति की डेथ हो जाती है या फिर वह रिजाइन कर देता है तो भी कंपनी का अस्तित्व बना रहता है. 
  • प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के बिजनेस को बिना डिस्टर्ब किए किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को आंशिक रूप से या फिर पूर्ण रूप से सेल किया जा सकता है. 

Facts: Anand Automotive Pvt. Ltd. और Parle Products Pvt. Ltd हमारे देश के जाने माने प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के उदाहरण हैं. 

5) पब्लिक लिमिटेड कंपनी 

कंपनी एक्ट के धारा के अनुसार पब्लिक कंपनी का मतलब उस कंपनी से होता है जो कि प्राइवेट कंपनी नहीं है. 

पब्लिक लिमिटेड कंपनी की शुरुआत कम से कम 7 लोगो के साथ , न्यूनतम भुगतान के साथ किया जा सकता है. इस तरह के कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किए जा सकते हैं और इसके शेयर को ट्रेड किया जा सकता है. प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तुलना में इस तरह के कंपनी पर कुछ अधिक कानून लागू होते हैं-

  • शेयरहोल्डर के लायबिलिटी शेयर होल्डिंग के स्टेक तक सीमित होती है. 
  • इसमें कम से कम 7 शेयरहोल्डर होने चाहिए. इसके बाद यह संख्या बढ़कर कितनी भी हो सकती है. 
  • अगर किसी शेयरहोल्डर की मृत्यु हो जाती है तो भी पब्लिक लिमिटेड कंपनी का अस्तित्व बना रहता है और उनका यह बिजनेस चलता रहता है. 
  • पब्लिक लिमिटेड कंपनी स्टॉक मार्केट में अपने शेयर को बेचकर बिजनेस के लिए पूंजी जुटा सकती है. 

Facts: Reliance Industries और Bharti Airtel देश के टॉप पब्लिक लिमिटेड कंपनी के उदाहरण है.  

6) वन पर्सन कंपनी 

कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 2(62) के अनुसार – वन पर्सन कंपनी का मतलब उस कंपनी से होता है जिसमे मेंबर के तौर पर सिर्फ एक ही व्यक्ति होता है. बिजनेस के इस प्रकार को हाल में लागू किया गया है , ताकि कोई भी व्यक्ति अपने बिजनेस अकेले मैनेज कर सके. 

इस तरह के बिजनेस में सभी शेयर एक ही व्यक्ति के नाम होते हैं लेकिन बिजनेस को रजिस्टर करने के लिए नॉमिनी के तौर पर किसी व्यक्ति का नाम जुड़वाना होता है.

Fact: Truffle House और Akhan Diary वन पर्सन कंपनी के उदाहरण हैं. 

अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न

व्यवसाय कितने प्रकार के होते हैं?

माल के सप्लाई चैन के आधार पर बिजनेस मुख्यतः 6 प्रकार के होते हैं – 
1. मैन्युफैक्चरिंग बिज़नेस
2. डिस्ट्रीब्यूशन/ व्होलसेल बिज़नेस
3. रिटेल बिज़नेस
4. सर्विस बिज़नेस
5. फ्रेंचाइज बिजनेस 
6. नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस 

दुकान कितने प्रकार के होते हैं

दुकानों को मुख्यतः 9 प्रकारों में बांटा जा सकता है – 
1. Department Stores: ये दुकान बहुत बड़ी होती है और अलग-अलग प्रकार के सामान जैसे के कपड़े, घर के सामान, खेल-कूद का सामान, आदि बेचते हैं।
2. Discount Stores: डिस्काउंट स्टोर में सामान सस्ते दामों पर मिलता है। ये दुकान बड़े-बड़े ब्रांड्स के सामान को सस्ते दामों पर बेचते हैं।
3. Supermarket: सुपरमार्केट में खाना-पीना से लेकर घर के सामान तक सब कुछ मिलता है। ये दुकान बड़े स्तर पर होती है और आमतौर पर शहर के बाहर होती है।
4. Warehouse Stores: वेयरहाउस स्टोर में सामान की बड़ी मात्रा होती है और सामान को सस्ते दामों पर बेचा जाता है। ये दुकान आमतौर पर शहर के बाहर होती है और बड़ी जगह पर होती है।
5. Mom and Pop Store (also called Kirana Store in India): ये छोटे स्तर के दुकान होते हैं जहा हर तरह के सामान मिलता है। ये दुकान आमतौर पर घर के पास ही होती हैं।
6. Speciality Stores: स्पेशलिटी स्टोर में किसी एक पार्टिकुलर चीज़ जैसे कि बुक्स, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, स्पोर्ट्स गुड्स, आदि बेचे जाते हैं।
7. Malls: मॉल्स बहुत बड़ी दुकानें होती हैं, जहाँ अलग-अलग प्रकार के सामान बेचे जाते हैं, साथ ही मनोरंजन और खाना-पीना का भी इंतेज़ाम होता है।
8. E Tailers: E tailers ऑनलाइन स्टोर होते हैं, जहां से आप घर पर समान क्रय कर सकते हैं, और घर में पहुंचने की सुविधा होती है।
9. Dollar Stores: Dollar stores में सभी सामान एक फिक्स दाम में मिलते हैं. जैसे किसी कि हर चीज 99 रु. का.  

टॉप बिजनेस कौन कौन से हैं?

टॉप बिजनेस के नाम इस तरह से हैं – 
1. फूड और वेवरेज से जुड़े बिजनेस 
2. ऑर्गेनिक फार्मिंग 
3. फार्मास्यूटिकल बिजनेस 
4. वेबसाइट डिजाइनिंग 
5. रियल एस्टेट का बिजनेस 
6. कोचिंग 
7. यूट्यूब 
8. नेटवर्क मार्केटिंग 
9. डिजिटल मार्केटिंग 
10. मुर्गी पालन 
11. मछली पालन आदि. 

फ्रेंचाइजी बिजनेस क्या है. 

दोस्तों फ्रेंचाइज बिजनेस एक ऐसा बिजनेस मॉडल हैं , इज्समे कोई कंपनी अपने ब्रांड , प्रोडक्ट और सर्विस को दूसरे उद्यमी या फ्रेंचाइज के साथ सांझा करती है. इसके लिए फ्रेंचाइज लेने वाले उद्यमी को कुछ रॉयल्टी फीस देना होता है और इसके बदले में कंपनी उस व्यक्त को अपना ब्रांड , प्रोडक्ट और सर्विस इस्तेमाल करने का अनुमति देती.  
खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए यह एक बहुत ही पॉपुलर बिजनेस मॉडल है क्योंकि इसमें फ्रेंचाइजी को अपने बिजनेस की मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती है. मार्केटिंग का पूरा काम कंपनी खुद संभालती है. 

सबसे ज्यादा पैसा किस बिजनेस में है

दोस्तों बात करें कि सबसे ज्यादा पैसा किस बिजनेस में है तो टेक्नोलॉजी , हेल्थकेयर , रियल एस्टेट , फाइनेंस और एनर्जी सेक्टर ये ऐसे बिजनेस फील्ड हैं जिनमे सबसे ज्यादा पैसा है लेकिन आज के टाइम पर इन फील्ड में बहुत ज्यादा कंपटीशन बढ़ गया है. अगर आप इन फील्ड में बिजनेस शुरू करते हैं तो सफलता पाने के लिए आपको सही स्ट्रेटजी के साथ मेहनत करना पड़ेगा. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पैसे कमाने के लिए वही बिजनेस सबसे अच्छा होता है जो आपके स्किल , इंटरेस्ट के अनुसार फिट बैठता हो. 

बिजनेस कितने प्रकार के होते हैं [निष्कर्ष ]

दोस्तों इस आर्टिकल के साथ यहां तक बने रहने के बाद अब आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि बिजनेस कितने प्रकार के होते हैं ? अगर आपको कुछ चीजें भूल रही हैं तो आप स्क्रॉल करके फिर से आर्टिकल को पढ़ सकते हैं.

जाते-जाते हम आपको एक सलाह देना चाहेगे कि – चाहे आप किसी भी तरह का बिजनेस क्यों न करें , लेकिन सच्चे दिल से , पूरी प्लानिंग और स्ट्रेटजी के साथ करें ताकि जब सफलता मिले तो कोई ये न कहें कि भाई उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसका धंधा चल पड़ा.

अगर आप पूरी प्लानिंग के साथ काम शुरू करेगे तो रिस्क कम हो जायेगा और प्रॉफिट में जीरो की संख्या अपने आप बढ़ेगी. फिर इतना पैसा आएगा, कि संभाल नहीं पाओगे………….

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